रंगरेज़
Thursday, October 16, 2014
पत्थर के खुदा ,पत्थर के सनम ,पत्थर के ही इन्सां पाए हैं।
तुम शहरे मोहब्बत कहते हो, हम जान बचाकर आये हैं।.....जगजीत सिंह
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